Thursday, April 2, 2015

ख़ामोशी खड़ी है










       ख़ामोशी खड़ी है 
      -------------------

        गया ,
        सब कुछ गया । 

        रोशनी थी ,
        रास्ता था ,
        मधु - पगा सब  वास्ता था ;

        किन्तु 
        ख़ामोशी खड़ी है ,
        ओढ़कर कुछ नया । 
        गया ,
        सब कुछ गया । 

        दर्द है ,
        हमदर्द गायब ,
        मूल हक़ की फर्द गायब ,

        जुल्मियों के 
        सर्द दिल में ,
        क्या दया ? क्या हया ?
        गया ,
        सब कुछ गया । 

                             - श्रीकृष्ण शर्मा 
_______________________

पुस्तक - '' एक नदी कोलाहल ''  ,  पृष्ठ - 24












sksharmakavitaye.blogspot.in

shrikrishnasharma.wordpress.com

2 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (04-04-2015) को "दायरे यादों के" { चर्चा - 1937 } पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

    ReplyDelete
  2. धन्यवाद मयंक जी |

    ReplyDelete