आप अफ़सोस करते रहे !
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आप अफ़सोस करते रहे ,
किन्तु वे
हर फसल आके चरते रहे !
हाल बेहाल था ,
बेबसी का क़दम ताल था ,
तर हुआ आँसुओं - डूबा रुमाल था ,
आप उद्घोष करते रहे ,
किन्तु वे
पंख आकर कतरते रहे !
दर्द बेदर्द था ,
झेलते -झेलते चेहरा ज़र्द था ,
क़ातिलों का मगर दिल बहुत सर्द था ,
आप आक्रोश करते रहे ,
किन्तु हम
सब बिना मौत मरते रहे !
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' एक नदी कोलाहल '' , पृष्ठ - 37
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