Thursday, July 30, 2015

पुस्तक ( दोहा - संग्रह ) - '' मेरी छोटी आँजुरी '' के शीर्षक - '' संग - साथ थे जो कभी '' से लिए गए दोहे ( भाग - 2 )









( भाग 1 से आगे - )

( 7 )

जो कि जिन्दगी में रहे , हमसे सदा अभिन्न |
पता नहीं कैसे कहाँ , हुए वृन्त से छिन्न |

( 8 )

मित्र , कहें किससे कि , हम रहे निभाते प्यार |
लेकिन वे निकले महज , खुशबू भरी बयार |

( 9 )

रास नहीं आये हमें , दुनियाँ के दस्तूर |
दिल के हाथों हम रहे , हैं सदैव मजबूर |

( 10 )

चैन नहीं लेने दिया , जिसने दिन औ ' रात |
तुमने वह दी थी कभी , प्यार भरी सौगात |

( 11 )

कसक रही है आज भी , गड़ी हुई वह फाँस |
घुटते धूँए में नहीं , ले पाते ज्यों साँस |

( 12 )

एक दर्द आँसू बना , एक दर्द संगीत |
एक दर्द कसका सदा , बन कर मन का मीत  |

( शेष भाग - 3 पर )


                                         - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' मेरी छोटी आँजुरी ''  ,  पृष्ठ - 38 . 39












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