Saturday, July 18, 2015

पुस्तक (गीत - संग्रह ) - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गया गीत - '' अग्नि - पंथ ''









मेरे प्यासे प्राण भटकते । 

नभ में काले मेघ घुमड़ते ,
निर्झर - सरिता - सिंधु उमड़ते ,
पर्वत से बहता सोता है ,
मरुथल में भी जल होता है ;

पर मैं हूँ वह एक अभागा 
अग्नि - पंथ में ही जो जागा ;

शीतलता की खातिर जिसके 
बूँद - बूँद में प्राण अटकते । 

मेरे प्यासे प्राण भटकते । 

                        - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन ''  ,  पृष्ठ - 19












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