शेष भाग -1 से आगे -
( 6 )
सृजा ' सूर सागर ' सुभग , भाषा का श्रृंगार ।
भक्ति , समर्पण , प्रेम का , मधुरिम पारावार । ।
( 7 )
लहरें राधा - कृष्ण हैं , लहरें यशोदा - नन्द ।
गोप - गोपियाँ लहरकर , देती परमानन्द । ।
( 8 )
मातृ - ह्रदय के दुग्धभरित , भावों का उन्मेष ।
पुण्य - प्रसू , मनहर , सुखद , रंजक , ज्योतिर्वेष । ।
( 9 )
वात्सल्य - श्रृंगार के , एकछत्र सम्राट ।
भाव - सिन्धु में पुष्टि के , तुम हो पोत विराट । ।
( 10 )
अष्टछाप के मुकुट - मणि , ओ हिन्दी के सूर्य !
अनुपमेय है विश्व में , सूर तुम्हारा सूर्य ! !
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' मेरी छोटी आँजुरी '' , पृष्ठ - 28 , 29
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