Sunday, July 26, 2015

पुस्तक ( दोहा - संकलन ) - '' मेरी छोटी आँजुरी '' के शीर्षक - '' लिखना यदि होता सरल '' से लिए गए दोहे ( भाग - 2 )









( 8 ) 

हमें लेखनी पर रहा , खुद से ज्यादा नाज |
कहते हैं सब मूल से , प्यारा होता ब्याज |

( 9 )

जीवन भर हमने लिखे , सिर्फ प्यार के गीत |
किन्तु सभी की आँख में , रहे लाभ या जीत |

( 10 )

गर्व न कर ओ बापु रे , कुछ कागज कर श्याम |
लिखना तो लिख भोर की , एक किरन का नाम |

( 11 )

थे कितने - कितने बड़े , लोग गए हैं भूल |
अपनी गिनती कौन है , जो इस पथ की धूल |

( 12 )

गयी सोचने जिन्दगी , मिला न मौजूँ शब्द |
गीत अधूरा रह गया , कैसा  है  प्रारब्ध |

( 13 )

शिखर ' निराला ' गीत के , ' बच्चन ' , ' सुमन ', नरेन्द्र |
ठाकुर , त्यागी , रंग , शिशु , नीरज औ ' ' वीरेद्र ' |


                                               - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' मेरी छोटी आँजुरी ''  ,  पृष्ठ - 34 ,35









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