मुझे किसी की याद नयन में भर लेने दो ! !
भादों के ये मेघ युगों से प्यासे मन पर ,
दो क्षण ही बस मीत और तुम झर लेने दो !
मुझे किसी की याद नयन में भर लेने दो ! !
ज्ञात नहीं किस क्षण जीवन - धारा बह जाये ,
किस क्षण मेरी देह रेत बनकर रह जाये ,
किस क्षण साँस छीने , बुझ जाये दृस्टि -दीप कब ,
किस क्षण मृत्यु विहँस कुछ कानों में कह जाये ,
इसीलिए सब भूल , ह्रदय की इस सीपी में ,
मुझे स्नेह की स्वाँति -बूँद ये धर लेने दो !
मुझे किसी की याद नयन में भर लेने दो ! !
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन '' , पृष्ठ - 24
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