Saturday, July 25, 2015

पुस्तक ( दोहा - संकलन ) - '' मेरी छोटी आँजुरी '' के शीर्षक - '' लिखना यदि सरल होता '' से लिए गए दोहे ( भाग - 1 )









( 1 )

मोमबतियों की तरह , जल - जल कर निःशब्द । 
उजियाला देना रहा , कवियों का प्रारब्ध । । 

( 2 )

खड़ा मृत्यु के द्वार पर , अपना सीना तान । 
नित मर कर भी रच रहा , वह जीवन के गान । |

( 3 )

आँसू सबकी आँख के , सबके मन की पीर |
कविता फूटी है सदा , अन्तस्तल को चीर |

( 4 )

उठा - उठा  कर कलम से , रक्खे कागज - मध्य |
भाव - कल्पना से जुड़े , अश्रु बन गये अर्ध्य |
  ( 5 )

वर्षों जो गोपन रहा , मन में मेरे मीत |
पता नहीं , वह किस तरह , आज बन गया गीत |
  ( 6 )

उठती मन में हूक जब , अकल - बकल हो चित्त |
भाव - सिन्धु में डूब तब , रचता हृदय कवित्त |

( 7 )

लिखना यदि होता सरल क्यों जाते वे छोड़  |
जलना पड़ता आग में , अपना रक्त निचोड़ |

( शेष भाग - २ में )


                                   - श्रीकृष्ण शर्मा 

_____________________________
पुस्तक - '' मेरी छोटी आँजुरी ''  ,  पृष्ठ - 34










sksharmakavitaye.blogspot.in



No comments:

Post a Comment