आज भी क्यों मौन तुम हो ?
क्यों उमड़ता दर्द मेरे वास्ते ही ?
जबकि मेरे बंद हैं सब रास्ते ही ।
क्यों घुमड़ते आ रहे हो बादलों - से ?
तप रहे जब प्राण ज्यादा मरुथलों - से ।
प्रीति बरसा क्यों रहे हो
जिन्दगी पर ?
नेह के जलधर ,
बताओ , कौन तुम हो ?
आज भी जो मौन तुम हो !
आज भी क्यों मौन तुम हो ?
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन '' , पृष्ठ - 18
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