( 1 )
जो कुछ दृस्ट - अदृस्ट है , उस सृष्टा का खेल ।
अग्नि , वायु , जल , भू , गगन - सबका सम्यक् मेल । ।
( 2 )
खोज न पाये अब तलक , बड़े - बड़े अय्यार ।
कहाँ छिपा जाकर , सभी रचकर रचनाकार । ।
( 3 )
पता न किन - किन पूर्वजों से हम हैं मौजूद ।
बोलो , फिर कैसे कहें , ईश्वर का न वजूद । ।
( 4 )
जिस पर हो प्रभु की कृपा , उसकी शक्ति असीम ।
बिना दांत की दीम के , हैं पाताली बीम । ।
( क्रमशः भाग - 2 पर )
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' मेरी छोटी आँजुरी '' , पृष्ठ - 24
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