( भाग - 1 का शेष - )
( 7 )
तेरह - ग्यारह की जगह , ग्यारह - तेरह मान ।
दोहे की मात्रा उलट , बने सोरठा जान । ।
( 8 )
रोला के प्रारम्भ में , हो दोहा का योग ।
' कुण्डलिया ' के नाम हैं , ये जुड़वाँ संयोग । ।
( 9 )
सूक्ति और सिद्धान्त हैं , है अनुभव का सार ।
जन - मन में है घर किये , दोहों का संसार । ।
( 10 )
सन्त कबीर व जायसी , तुलसी और रहीम ।
सुकवि बिहारी लाल - ये दोहा की हैं सीम । ।
( 11 )
गहन सिन्धु , निस्सीम नभ , दोहा द्विपद अनन्य ।
भाव - कल्पना , शिल्पगत कौशल , कहन अवर्ण्य । ।
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' मेरी छोटी आँजुरी '' , पृष्ठ - 32 , 33
shrikrishnasharma.wordpress.com
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