कैसे कहूँ कहानी अपनी ?
जिसे छिपाता रहा सभी से ,
वह पीड़ा अनजानी अपनी !
कैसे कहूँ कहानी अपनी ?
दर्दीले - उजड़े जीवन में
बाकी नहीं सहारा कोई ,
जो भी मिला रुलाया उसने
दिल में जलती यादें बोई ,
कैसे दिखलाऊँ तुमको
मरघट वाली रजधानी अपनी ?
कैसे कहूँ कहानी अपनी ?
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन '' , पृष्ठ - 22
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