( 1 )
संस्कृति का लघु संस्करण और धर्म का सार ।
' रामचरित मानस - मणी ' हिन्दी का श्रृंगार । ।
( 2 )
' मानस ' क्या है ? अनुभवों का है सत्व - निचोड़ ।
जीवन के हर प्रश्न का , जिसमें मिलता तोड़ । ।
( 3 )
सूक्ति और दृष्टान्त का , ' मानस ' है भण्डार । ।
जहाँ सुमति सम्पति वहाँ , कुमति विपति का द्वार । ।
( 4 )
पराधीन को स्वप्न में भी न प्राप्त सुख - चैन । ।
स्वाभिमान , सम्मान - सुख , स्वतंत्रता की देन । ।
( 5 )
जो तुमसे पथ में मिले , गहो स्नेह से हाथ ।
पता नहीं किस रूप में , प्रभु से हो साक्षात । ।
( शेष भाग - 2 में )
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' मेरी छोटी आँजुरी '' , पृष्ठ - 26
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बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति..
ReplyDeleteधन्यवाद कैलाश जी .
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