( भाग - २ से आगे - )
( 13 )
जो हमको कहते रहे ,थे अपना सरताज |
( 14)
आँखें धुंधलाने लगीं , लगे टूटने बिम्ब |
( 15)
रात - रात भर भूनता , हमें दर्द - भड़भूँज |
( 16)
इन राहों में जो मिले , मुझको मित्र - अमित्र |
( 17 )
जो अपने अनुकूल था , बीत गया वह वक्त |
( 18 )
इन राहों से गुजर कर , कहीं खो गया हास |
( शेष भाग -4 पर )
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' मेरी छोटी आँजुरी '' , पृष्ठ - 38
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