Sunday, July 19, 2015

पुस्तक ( गीत - संग्रह ) - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गीत - '' कण्ठ मेरा ''









आँसुओं से आज बोझिल 
कण्ठ मेरा रुँध गया है ! !

बाँध टूटा आँसुओं का 
स्रोत ज्यों फूटा कुँओं का ,
किन्तु मेरे प्राण में है -
ताप क्यों  जलती लुओं का ?

युग - युगों के वास्ते अब ,
खुले  दुख के रास्ते जब ,

इक तुम्हारा द्वार मुझको 
तब सदा को मुँद गया है !

आँसुओं से आज बोझिल 
कण्ठ मेरा रुँध गया है ! !


                              - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन ''  ,  पृष्ठ - 20












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