( 1 )
दोहा , दूहा , दोहरा , पहला हिन्दी छन्द ।
जिसमें अनगिनती रचित , मुक्तक और प्रबन्ध । ।
( 2 )
कोई छन्द न अब तलक , दोहा जैसा और ।
जो कवियों का प्रिय रहा , कविता का सिरमौर । ।
( 3 )
गुरु - लघु गणना -भेद से , हैं विभेद पच्चीस ।
कौशल - बुद्धि विवेक युत , सृष्टा हो इक्कीस । ।
( 4 )
दोहा मात्रिक छन्द है , लघु वामन - सा ठेठ ।
दो बाहों में भू -गगन , लेता सभी समेट । ।
( 5 )
लिखते हैं दो चरण में , चार चरण का छन्द ।
कथ्य खरा , बाँकी कहन , दोहा बूँद समन्द । ।
( 6 )
तेरह - ग्यारह पर सुयति , अन्त दीर्घ - लघु इष्ट ।
भाव सिन्धु सम बूँद गत , दोहा लब्ध - प्रतिष्ठ । ।
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' मेरी छोटी आँजुरी '' , पृष्ठ - 32
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