पल - पल बढ़ते तिमिर में , हे मेरे सुखधाम !
रागारुण अब तो करो , जीवन की ये शाम !!
( 2 )
कल्मष हर हे माँ ! करो , शब्द - अर्थ द्युतिमान !
सत् -शिव-सुन्दर,भाव नव,नव अभिव्यक्ति अम्लान !!
( 3 )
कविता सुरसरि - सम बहे , पावन औ ' कल्याणि !
अक्षर - अक्षर अमृत हो , हे माँ वीणापाणि !!
( 4 )
मेरी छोटी आँजुरी , सम्मुख सिन्धु अपार !
ओ आकाशी देवता ! अर्ध्य करो स्वीकार !!
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' मेरी छोटी आँजुरी '' , पृष्ठ - 23
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