कृष्ण थे तुम ,
किन्तु तुमने विश्व को दी जोत !
भोग तुम करते हुए भी
योग के थे स्रोत !!
थे नहीं तुम भ्रमर ,
पर गीता तुम्हारी गूँज !
सारथी थे पार्थ के ,
पर थे सभी के पूज !!
थीं कला सोलह ,
नहीं थे पर कलंकी चाँद !
तुम मनुज पर सत्य यह
संसृति तुम्हारे बाद !!
पीत अम्बर तुम ,
कहे जाते तुम्हीं हो श्याम !
हो तुम्हीं तो कृष्ण ,
कहलाते तुम्हीं हो राम !!
- श्रीकृष्ण शर्मा
______________________
पुस्तक - '' बोल मेरे मौन '' , पृष्ठ - 43
sksharmakavitaye.blogspot.in
shrikrishnasharma.wordpress.com
No comments:
Post a Comment