Tuesday, August 18, 2015

पुस्तक ( गीत - संग्रह ) - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गीत --- '' वह मैं हूँ ''









हर तबाही से बचा जो शेष , वह मैं हूँ !!

सुखों की ख़ातिर सहे मैंने सभी संताप ,
प्यार पाने के लिए करता रहा हर पाप ,
गैर मनमाफ़िक नहीं जब कर सका व्यवहार ,
जो मिले थे , ढो रहा हूँ मैं सभी वे शाप ;

जो ख़ुशी आई , गई वह दर्द को वो कर ,
यदि मिला भी कुछ , मिला वह उफ़ सभी खो कर ,

देख लो , जो देखने की चाह है तुमको ,
यदि भविष्यत् का स्वयं का वेश , वह मैं हूँ !
हर तबाही से बचा जो शेष , वह मैं हूँ !!


                                     - श्रीकृष्ण शर्मा 

______________________________
पुस्तक - '' बोल मेरे मौन ''  ,  पृष्ठ - 34












sksharmakavitaye.blogspot.in
shrikrishnasharma.wordpress.com

No comments:

Post a Comment