भोर आता जा रहा है । ।
स्वप्न की प्रिय नाटिका का ,
ओर आता जा रहा है ।
भोर आता जा रहा है । ।
लग रहा है अब अँधेरी ,
और गहरी हो रही है ;
अब सितारों के ह्रदय की ,
धड़कनें भी खो रही हैं ;
जग गई है बात सुधि - सी ,
जो अभी तक सो रही थी ;
रात अपना मुँह , विदा के ,
आँसुओं से धो रही है ;
चाँदनी के चीर का भी ,
छोर आता जा रहा है ।
भोर आता जा रहा है । ।
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन '' , पृष्ठ - 31
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