Saturday, August 15, 2015

पुस्तक ( गीत - संग्रह ) - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गीत ---- '' लग रहा है ''









भोर आता जा रहा है । । 

स्वप्न की प्रिय नाटिका का ,
ओर आता जा रहा है । 
भोर आता जा रहा है । । 

लग रहा है अब अँधेरी ,
और गहरी हो रही है ;
अब सितारों के ह्रदय की ,
धड़कनें भी खो रही हैं ;

जग गई है बात सुधि - सी ,
जो अभी तक सो रही थी ;
रात अपना मुँह , विदा के ,
आँसुओं से धो रही है ;

चाँदनी के चीर का भी ,
छोर आता जा रहा है । 
भोर आता जा रहा है । । 


                         - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन ''  ,  पृष्ठ - 31












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