Monday, August 17, 2015

पुस्तक ( गीत - संग्रह ) - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गीत ----- '' साथ किसका दूँ ? ''









… और अब मेरे नयन पथरा रहे हैं । । 

आँख के आकाश में बस आज केवल ,
मृत्यु के बादल सघन घहरा रहे हैं । 
… और अब मेरे नयन पथरा रहे हैं । । 

हँस रही मेरे अधर पर रेख नीली ,
आज अंतिम बार मेरी आँख गीली ,
मैं झरूँगा आज पतझर - पात - जैसा ,
इसलिए ही स्यात् मेरी देह पीली ,

रो रहे दुख साथ थे जो एक युग से ,
अब निराश्रित और बेघरबार हो कर ,
अब व्यथा ही रो रही है आठ आँसू ,
मैं जिसे लता रहा दिन - रात ढो कर ,

साथ किसका दूँ , कहो जब आज मेरे ,
प्राण ही मुझको स्वयं बिसरा रहे हैं ?
… और अब मेरे नयन पथरा रहे हैं । । 


                                     - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन ''  ,  पृष्ठ - 33









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