यह भी कोई बात हुई ?
यह न कबड्डी , लौट चले तुम ,
ज्यों ही प्रथम लकीर छुई !
यह भी कोई बात हुई ?
आए हो तो तनिक बैठ लो ,
बैठ छाँव में कुछ सुस्ता लो ,
दौड़ - धूप आपा - धापी में ,
हँस - गा कर अवसाद मिटा लो ,
कुछ अपनी कह , मेरी सुन लो।,
तम में रजत - चाँदनी बुन लो ,
सच मानो , ताउम्र उजाला
देती सुख की एक फुई !
यह भी कोई बात हुई ?
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन '' , पृष्ठ - 40
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