Saturday, August 8, 2015

पुस्तक ( गीत - संग्रह ) - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गीत - '' कहाँ खुशबू - सी गयी वह ? ''









अब न बाकी भरम कोई ! !

बन्धु , यह स्वीकारने में ,
है न मुझको शरम कोई !
अब न बाकी भरम कोई ! !

थी घटा या थी झड़ी वह ?
या कि  थी बरखा खड़ी वह ?
फूल - सी सुंदर - सुकोमल ,
मधुऋतों ने थी गढ़ी वह ?

किन्तु विद्युत - सी जगाकर
स्वप्न जागृति में दिखाकर 
और मुझको जड़ बनाकर 

कहाँ खुशबू - सी गयी वह ,
जानता क्या मरम कोई ?
अब न बाकी भरम कोई ! ! 


                   - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन '' ,  पृष्ठ - 26









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