Sunday, August 30, 2015

पुस्तक ( गीत - संग्रह ) - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गीत - -- '' चुप हो जाओ ! ''











बहुत हुआ , अब चुप हो जाओ !!

रात गई आधी से ज्यादा ,
अब तो कुछ पल को सो जाओ !
बहुत हुआ , अब चुप हो जाओ !!

टूटे - घिसे रिकॉर्ड - सरीखे ,
वही - वही फिर - फिर कहते तुम ,
लेकिन सिर्फ़ अकेले ही क्या 
जलती छपरी में रहते तुम ?

कितने कृष्ण और राधा हैं ,
दुख जिनके तुमसे ज्यादा हैं ,

बंधु , सहज होकर तुम उनकी ,
जीवित पीड़ा में खो जाओ !
बहुत हुआ , अब चुप हो जाओ !!


                           - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन ''  ,  पृष्ठ - 42












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