बहुत हुआ , अब चुप हो जाओ !!
रात गई आधी से ज्यादा ,
अब तो कुछ पल को सो जाओ !
बहुत हुआ , अब चुप हो जाओ !!
टूटे - घिसे रिकॉर्ड - सरीखे ,
वही - वही फिर - फिर कहते तुम ,
लेकिन सिर्फ़ अकेले ही क्या
जलती छपरी में रहते तुम ?
कितने कृष्ण और राधा हैं ,
दुख जिनके तुमसे ज्यादा हैं ,
बंधु , सहज होकर तुम उनकी ,
जीवित पीड़ा में खो जाओ !
बहुत हुआ , अब चुप हो जाओ !!
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन '' , पृष्ठ - 42
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