( 19 )
एक आग चलती रही , सदा हमारे साथ |
( 20 )
पता न जाने क्या हुआ ,बदल गए सब तौर |
( 21 )
रात - रात भर हम रहे , सपनों में महफूज |
( 22 )
हितू - मितू , छोटे - बड़े , घर - बाहर के ठौर |
( 23 )
कहते हैं हम राह में , बिछी हुई है आग |
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' मेरी छोटी आँजुरी '' , पृष्ठ - 38 , 39
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