सचमुच क्या ये जग सपना है ?
ये सूरज , ये चंदा - तारे ,
धरती के रंगीन नज़ारे ,
महमह पुष्प , फसल ये लहलह ,
हरहर तरु , ये झरझर धारे ,
ये चरते पशु , उड़ते खग ये ,
ये सड़कें , रेलें , नव मग ये ,
ज्ञान , कला संगीत , वाङ्मय ,
विज्ञानों के बढ़ते पग ये ,
माँ - बापू की वत्सलता ये ,
भ्रातृ - स्नेह , प्रिय कल्पलता ये ,
सुख - दुख , मिलन - विछोह - व्यथा ये ,
त्याग और बलिदान - कथा ये ,
' मैं ' ' तुम ' हैं क्या सिर्फ़ कल्पना ,
क्या असत्य सब ' कुछ ' अपना है ?
सचमुच क्या ये जग सपना है ?
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन '' , पृष्ठ - 44
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