Sunday, August 23, 2015

पुस्तक ( गीत - संग्रह ) - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गीत - '' हतभागी एक शिखर ''









तुम क्यों इस तरह मुझे ,
देख रहे भाई ?

मैं भी तो तुम - सा हूँ 
एक आम आदमी ,
एक क्या हजारों हैं 
मुझमें भी तो कमी ,

लेकिन मैं बाहर जो 
हूँ वैसा ही भीतर ,
अभिशापित बस्ती का 
हतभागी एक शिखर ,

जिसको दिन ने मारा ,
रातों ने पर जिसकी 
आरती सजाई !

तुम क्यों इस तरह मुझे ,
देख रहे भाई ?


                  - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन ''  ,  पृष्ठ - 38









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