दो क्षण बरसा मेह रे !!
किन्तु तरसता रह गया ,
जीवन भर को नेह रे !
दो क्षण बरसा मेह रे !!
सजल - सजल - सी चाँदनी ,
उन्मद - उन्मद रागिनी ,
दाग - दगीला चन्द्रमा ,
मेघिल - तन्द्रिल यामिनी ,
कुछ क्षण के पश्चात ये ,
ढल जायेगी रात ये ,
रह जायेंगे कसकते ,
मन में ये जज्बात ये ,
मिट जायेगी फिर सभी ,
जब सुलगेगी देह रे !
दो क्षण बरसा मेह रे !!
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन '' , पृष्ठ - 30
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