प्यार : कुछ मुक्तक - 10
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'' धनवानों के लिए प्यार है
ताज - सरीखी एक इमारत ,
पढ़े - लिखों के लिए प्यार
ढाई अक्षर की एक इबारत ;
किन्तु प्यार क्या है , जब पूछा
किसी प्यार करने वाले से -
उसने कहा कि सच पूछो तो
प्यार खुदा की एक इबादत । ''
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' चाँद झील में '' , पृष्ठ - 56
मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपको धन्यवाद |
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ReplyDeleteप्यार ऊपर वाले का उपहार है सब के लिए ... भावपूर्ण रचना ...
ReplyDeleteधन्यवाद दिगम्बर जी |
ReplyDeleteधन्यवाद दिगम्बर जी |
ReplyDeleteप्यार खुदा का दिया वह तोफहा है , जो इन्सां की ज़िंदगी को जन्नत बना देता है ,
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति श्री कृष्ण जी
धन्यवाद डॉ. महेन्द्रग जी .आपने जो प्रोत्साहन दिया |
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