प्यार : कुछ मुक्तक - 8
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'' प्यार को तुम नहीं निज प्राण से सस्ता समझो ,
प्यार को सुख का नहीं दर्द का रस्ता समझो ;
प्यार को याद की रंगीन या बदरंग किताब -
बाँधने का ही नहीं सिर्फ़ तुम बस्ता समझो । ''
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' चाँद झील में '' , पृष्ठ - 54
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