मधुवन में उर्वशी उतर आयी
-------------------------------
नये- नये पातों की अरुणाई ,
नये - नये फूलों की तरुणाई ;
जगा अब नया भोर बहारों का |
अब सरसों के फूलों का जादू ,
हरियाली के सिर चढ़ बोल रहा ,
यौवन अपनी बाँह बढ़ाकर अब
कलियों का छवि - घूँघट खोल रहा ;
मधुवन में उर्वशी उतर आयी ,
ब्रह्मचर्य डोला पतझरों का |
जगा अब नया भोर बहारों का |
ढाकवनी के अब हर तरुवर का
पात - पात तक फूल बना जाता ,
महुओं की मादकता में डूबा
वन का एकाकी मन घबराता ;
नैतिकता बदनाम हुई जाती ,
सृजन हुआ मीना बाजारों का |
जगा अब नया भोर बहारों का |
फूलों की रेशमी निगाहों ने
भौरों को पागल कर डाला हैं ,
किन्तु तितलियों ने अपने मुख पर
जाने क्यों यह ताला डाला है ;
पर कोयल अभियोग लगाती है ,
दुरूपयोग करके अधिकारों का |
जगा अब नया भोर बहारों का |
- श्रीकृष्ण शर्मा
( कृपया इसे पढ़ कर अपने विचार अवश्य लिखें | आपके विचारों का स्वागत है| धन्यवाद | )
-------------------------------------------------------
पुस्तक - '' फागुन के हस्ताक्षर '' , पृष्ठ - 27
sksharmakavitaye.blogspot.in
shrikrishnasharma.wordpress.com
सुनील कुमार शर्मा
पी . जी . टी . ( इतिहास )
पुत्र – स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
पिन कोड – 326512
फोन नम्बर - 9414771867
No comments:
Post a Comment