उत्तर रामचरित के पन्ने
----------------------------
फिर अम्बर में बादल घुमड़े ,
फिर आँखों में आँसू आये |
चन्दा को पाने की खातिर ,
सेतु बनाया फिर सागर ने ;
रहे न धरा - गुजरिया सूखी ,
फोड़ दिया घट नटनागर ने ;
देहरी भीगी , द्वरा भीगा ,
जब पानी ने हाथ छुआये |
फिर अम्बर में बादल घुमड़े ,
फिर आँखों में आँसू आये |
मेघों की काली चादर पर ,
इन्द्रधनुष किरणों ने छापा ;
निज हथेलियों से बदली ने
सूरज की आँखों को ढांपा ;
रात खोल दिन का दरवाज़ा
भीतर आयी बिना बताये |
फिर अम्बर में बादल घुमड़े ,
फिर आँखों में आँसू आये ;
फिर कुछ ऐसा लहरा आया ,
जिसने डाला भिगो बिछौना ;
सभी जगह कीचड़ - फिसलन है ,
कहाँ रुके यह मन का छौना;
फिर कुछ ऐसी विधुत् तड़की ,
जिसने दरपन तक चटकाये ;
फिर अम्बर में बादल घुमड़े ,
फिर आँखों में आँसू आये |
बरखा के पाँवों की आहट
सुनकर रोमांचित हरियाली ;
धुआं - धुआं अम्बर का चेहरा ,
मंच हुआ तारों से खाली ;
जो कि तिमिर में जले ऊम्र भर ,
वही सभा से गये उठाये ;
फिर अम्बर में बादल घुमड़े ,
फिर आँखों में आँसू आये |
बरस पड़ीं रिमझिमें धूल पर ,
मार रही ताने पुरवाई ;
लेकिन किसी दुखान्त काव्य की
जीवन बना रहा चौपाई ;
मौसम की मनमानी सहते ,
हम ताशों - जैसे बिखराये |
फिर अम्बर में बादल घुमड़े ,
फिर आँखों में आँसू आये |
खड़ा हुआ है आज निर्दयी
बौछारों में भावुक परिचय ;
छोड़ रही है मजबूरी में
मन की सीता सुख का आश्रय ;
उत्तर रामचरित के पन्ने ,
लिख - लिखकर भवभूति पठाये |
फिर अम्बर में बादल घुमड़े ,
फिर आँखों में आँसू आये |
- श्रीकृष्ण शर्मा
( कृपया इसे पढ़ कर अपने विचार अवश्य लिखें | आपके विचारों का स्वागत है| धन्यवाद | )
पुस्तक - '' फागुन के हस्ताक्षर '' , पृष्ठ - 43, 44, 45
sksharmakavitaye.blogspot.in
shrikrishnasharma.wordpress.com
सुनील कुमार शर्मा
पी . जी . टी . ( इतिहास )
पुत्र – स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
पिन कोड – 326512
फोन नम्बर - 9414771867
No comments:
Post a Comment