तुम नहीं हो इसलिए ही
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गीत प्राणों का अभी तक होंठ पर आया नहीं है ।
चाहता था मैं जिसे गाना , अभी गाया नहीं है । ।
भावना का फूल मैं ऐसा खिलाना चाहता था ,
दृष्टि में हर एक के ही हो बसी जिसकी सुघरता ;
और जिसकी गन्ध के बादल गगन में छा रहे हों ,
वृष्टि की हर बूँद में जिसकी बरसती हो तरलता ;
खिल सके जिसमें सुघरतम - गन्धमय कविता - कुसुम यह ,
कल्पना में अब तलक मधुमास वह आया नहीं है । ।
गीत प्राणों का अभी तक होंठ पर आया नहीं है ।
चाहता था मैं जिसे गाना , अभी गाया नहीं है । ।
चाहता गढ़ना अपरिचित मूर्ति अपनी कामना की ,
रूप के बादलव में जिसको तनिक होती न देरी ;
बन रहा है एक धुँधला चित्र मेरी चेतना में ,
ये लकीरें दे नहीं पायीं जिसे अभिव्यक्ति मेरी ;
हू -ब -हू अपने हृदय में जो कि उस छवि को उतारे ,
किन्तु ऐसा सृष्टि में दरपन कहीं पाया नहीं है । ।
गीत प्राणों का अभी तक होंठ पर आया नहीं है ।
चाहता था मैं जिसे गाना , अभी गाया नहीं है । ।
आज कहना चाहकर भी कुछ न मैं कह पा रहा हूँ ,
क्योंकि भावुक मन सभी की वेदना से दुख गया है ;
देख लूँ तो चाँद नभ का भी उतर आये धरा पर ,
किन्तु मेरी ग़लतियों से आज माथा झुक गया है ,
पूर्ण होकर भी , तुम्हारे बिन सदा ही मैं अधूरा ,
तुम नहीं हो , इसलिए ही प्राण हैं , काया नहीं है । ।
गीत प्राणों का अभी तक होंठ पर आया नहीं है ।
चाहता था मैं जिसे गाना , अभी गाया नहीं है । ।
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' फागुन के हस्ताक्षर '' , पृष्ठ - 48, 49
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सुनील कुमार शर्मा
पी . जी . टी . ( इतिहास )
पुत्र – स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
पिन कोड – 326512
फोन नम्बर - 9414771867
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