Thursday, February 5, 2015

'' सावन - घन '' नामक गीत , कवि स्व . श्री श्रीकृष्ण शर्मा के गीत संग्रह – ‘’ फागुन के हस्ताक्षर ‘’ से लिया गया है -

      






 सावन - घन
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गगनांगन सावन - घन |

झरते झर - झर जलधर ,
भरते सर - सरि - सागर , 
बरसे री , बरसे घन ,
घुमड़ - घहर उमड़ - अहर,
        लरज - तरज सहज गरज ,
        सुन री सुन , वंशी - स्वन |

गगनांगन सावन - घन |

        झकझोरे झंझा से ,
        दुपहर में संझा - से ,
        चंचल से सुभग विहग ,
        सजल - तरल दृग ये मृग ,
                   विधुत् के बंधन में ,
                    आकुल तन , व्याकुल मन |

गगनांगन सावन - घन |

तट पर के बाँसों पर ,
कोदों औ ' काँसों पर ,
निर्मोही प्रियतम बिन 
गुमसुम - सी साँसों पर ,
       
        बरसे री , तरसे जी 
        पर जैसे - आँसू - कन |

गगनांगन सावन - घन |

                        
                                          - श्रीकृष्ण शर्मा 


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 पुस्तक - '' फागुन के हस्ताक्षर ''  ,  /  पृष्ठ - 26



सुनील कुमार शर्मा 
पी . जी . टी . ( इतिहास ) 
पुत्र –  स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
पिन कोड – 326512
फोन नम्बर - 9414771867












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