Tuesday, March 31, 2015
Monday, March 30, 2015
प्यार : कुछ मुक्तक - 11
प्यार : कुछ मुक्तक - 11
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'' कुछ लोग तरसते दौलत को ,
कुछ दुख में सुख की सोहबत को ;
पर चैन न उनको मिला कभी -
दिल जिनने दिया मुहब्बत को । ''
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' चाँद झील में '' , पृष्ठ - 56
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Sunday, March 29, 2015
प्यार : कुछ मुक्तक - 10
प्यार : कुछ मुक्तक - 10
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'' धनवानों के लिए प्यार है
ताज - सरीखी एक इमारत ,
पढ़े - लिखों के लिए प्यार
ढाई अक्षर की एक इबारत ;
किन्तु प्यार क्या है , जब पूछा
किसी प्यार करने वाले से -
उसने कहा कि सच पूछो तो
प्यार खुदा की एक इबादत । ''
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' चाँद झील में '' , पृष्ठ - 56
Friday, March 27, 2015
प्यार : कुछ मुक्तक - 9
प्यार : कुछ मुक्तक - 9
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'' घन - घटा देख नाचता मोर ,
चन्द्र के लिए व्याकुल चकोर ;
पपिहा प्यासा स्वाति के लिए ,
ये आकर्षण प्यार की डोर । ''
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' चाँद झील में '' , पृष्ठ - 54
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Thursday, March 26, 2015
प्यार : कुछ मुक्तक - 8
प्यार : कुछ मुक्तक - 8
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'' प्यार को तुम नहीं निज प्राण से सस्ता समझो ,
प्यार को सुख का नहीं दर्द का रस्ता समझो ;
प्यार को याद की रंगीन या बदरंग किताब -
बाँधने का ही नहीं सिर्फ़ तुम बस्ता समझो । ''
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' चाँद झील में '' , पृष्ठ - 54

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Wednesday, March 25, 2015
प्यार : कुछ मुक्तक - 7
प्यार : कुछ मुक्तक - 7
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'' प्यार है फूल , फूल पर तितली ,
प्यार है मेघ , मेघ पर बिजली ;
प्यार अमृत का कुंड दुनियाँ में -
प्यार बिन मनुज , जल बिन मछली । ''
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' चाँद झील में '' , पृष्ठ - 54

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Tuesday, March 24, 2015
प्यार : कुछ मुक्तक - 6
प्यार : कुछ मुक्तक - 6
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'' प्यार शूल के संग फूलों - सा ,
प्यार डाल पर है झूलों - सा ;
विद्युत - जैसा मेघ - माल में ,
प्यार लहर के संग कूलों - सा । "
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' चाँद झील में " , पृष्ठ - 53
Monday, March 23, 2015
प्यार : कुछ मुक्तक - 5
प्यार : कुछ मुक्तक - 5
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'' प्यार में जब मिलन होता है ,
कुछ नया तब सृजन होता है ;
आदमी देवता बनता है तब -
प्यार जब श्रद्धा - कन सँजोता है । ''
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' चाँद झील में '' , पृष्ठ - 52
Sunday, March 22, 2015
प्यार : कुछ मुक्तक - 1
प्यार : कुछ मुक्तक ( 1 )
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'' कुछ कहते प्यार पहेली है ,
कुछ कहते हैं अठखेली है ;
पर प्यार बिना ज़िन्दगी सिर्फ़ -
भूतों से भरी हवेली है । ''
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' चाँद झील में '' , पृष्ठ - 52
प्यार : कुछ मुक्तक - 4
प्यार : कुछ मुक्तक - 4
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'' प्यार न धन औ ' मान चाहता ,
प्यार न वैभव - शान चाहता ;
बदले की भी चाह न इसमें ,
प्यार त्याग - बलिदान चाहता । ''
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' चाँद झील में '' , पृष्ठ - 52
Saturday, March 21, 2015
प्यार : कुछ मुक्तक - 3
प्यार : कुछ मुक्तक - 3
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'' प्यार के वास्ते सियासत है ,
प्यार के वास्ते अदावत है ;
बादशाहों तलक से होती रही -
प्यार के वास्ते बगावत है । ''
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' चाँद झील में '' , पृष्ठ - 52
Friday, March 20, 2015
प्यार : कुछ मुक्तक - 2
प्यार : कुछ मुक्तक - 2
'' प्यार अन्धे को आँख देता है ,
प्यार उड़ने को पाँख देता है ;
प्यार अँधियार के अँगरखे में -
चाँद औ ' तारे टाँक देता है । ''
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' चाँद झील में '' , पृष्ठ - 52
Wednesday, March 18, 2015
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