कोयल फिर से लगी कुहुकने । ।
लेकिन मेरे इस अन्तस में ,
पीड़ा कौन लगी फिर दुखने ?
कोयल फिर से लगी कुहुकने । ।
अमराई फिर बौराई है ,
मधुऋतु फिर सजधज आई है ,
प्रकृति - सुन्दरी ने भी फिर से
ली ये मादक अँगड़ाई है ;
दिशा - दिशा औ ' कोना - कोना
है उमंग - उत्साह सलोना ।
लेकिन इस संसार - समर में ,
मेरी शक्ति लगी फिर चुकने ।
कोयल फिर से लगी कुहुकने । ।
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन '' , पृष्ठ - 54
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