Thursday, September 3, 2015

पुस्तक ( गीत - संग्रह ) - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गीत - '' दुख तो दुख है ''









दुख तो दुख है , मेरा हो अथवा तेरा !!

मेरा दुख क्या अलग ,
अलग क्या तेरा दुख ?
दुख की लिपि होती है 
एक , सभी के मुख !

अलग न दुख का दंश ,
दर्द औ ' संवेदन ,
अलग नहीं होता 
आँसुओं का खारीपन !

सच पूछो तो दुख जीवन की थाती है ,
दर्द सभी का , कवि की वाणी गाती है !

ठिठका हूँ मैं , जब - जब पीड़ा ने टेरा !
दुख तो दुख है , मेरा हो अथवा तेरा !! 


                                 - श्रीकृष्ण शर्मा 

_____________________________
पुस्तक - '' बोल मेरे मौन ''  ,  पृष्ठ - 46












sksharmakavitaye.blogspot.in
shrikrishnasharma.wordpress.com

No comments:

Post a Comment