Saturday, September 19, 2015

‘’ छेड़ो मत ‘’ नामक गीत , कवि स्व . श्रीकृष्ण शर्मा का गीत संग्रह – ‘’ बोल मेरे मौन ‘’ से लिया गया है -









छेड़ो मत , अपनी ही पीड़ा में खोया जो ,
फूट पड़ेगा , चुप है , अभी - अभी सोया जो । । 

क्षत - विक्षत जो कि हुआ 
सुबह के लिए लड़कर ,
उसकी ही काया पर 
लिपटे सौ - सौ विषधर ,

जिनको काँधे लेकर 
शाही सम्मान दिया ,
पीते हैं वही रक्त 
अब पिशाच सिर चढ़कर ;

पर उनको एक दिवस चखना ही होगा वो ,
उनने इस धरती में कालकूट बोया जो । 

छेड़ो मत , अपनी ही पीड़ा में खोया जो ,
फूट पड़ेगा , चुप है , अभी - अभी सोया जो । । 


                                                    - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन ''  ,  पृष्ठ - 76



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