बेतवा नदी बहती ,
गाँव के सिवाने पर ।
कँकरीला - पथरीला
पथ इसका पारदर्श ,
स्फटिक - शुभ्र जल जैसे -
करता नभ से विमर्श ;
तट पर शिव - मन्दिर है ,
आस - पास जंगल है ,
मानव ही नहीं , ढोर -
डंगर का मंगल है ;
निर्मला - सदानीरा ,
बजा - बजा मंजीरा ;
मंगल - ध्वनि गाती - सी ,
जाती है पी के घर ।
बेतवा नदी बहती ,
गाँव के सिवाने पर ।
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन '' , पृष्ठ - 51
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