Thursday, September 17, 2015

पुस्तक ( गीत - संग्रह ) - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गीत - '' सन्नाटे से कौन लड़े ? ''









गुमसुम - सी है शाम 
और ये चुप - चुप पेड़ खड़े । 

दहक - दहक कर सूर्य 
कोयला होता चला गया ,
भरकर तेज उड़ान 
घौंसले लौटी अभी बया । 

पीछे दुष्ट पिशाच 
अँधेरे का जादू काला ,
डब - डब आँखों ज्योति 
देखती घायल उजियाला । 

बड़ी अनमनी हवा ,
कि सन्नाटे से कौन लड़े ?

गुमसुम - सी है शाम 
और ये चुप - चुप पेड़ खड़े । 


                                  - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन ''  ,  पृष्ठ - 58










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