सहमा - सहमा - सा सन्नाटा । ।
स्तब्ध किसी बालक जैसा है ,
जिसे गया जोरों से डाँटा ।
सहमा - सहमा - सा सन्नाटा । ।
जाती है सन्ध्या की वेला ,
बियाबान रह गया अकेला ,
यों ही उसने फैंक दिया है
नभ - सर में चंदा का ढेला ;
कोलाहल ने होंठ चुपाए
चहल - पहल के दृग अलसाए ,
गुमसुम औ ' निस्पन्द नगर है ,
जैसे किसी साँप ने काटा ।
सहमा - सहमा - सा सन्नाटा । ।
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - बोल मेरे मौन '' , पृष्ठ - 59
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