Tuesday, September 15, 2015

पुस्तक ( गीत - संग्रह ) - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गया गीत - '' सहमा सन्नाटा ''









सहमा - सहमा - सा सन्नाटा । । 

स्तब्ध किसी बालक जैसा है ,
जिसे गया जोरों से डाँटा । 
सहमा - सहमा - सा सन्नाटा । । 

जाती है सन्ध्या की वेला ,
बियाबान रह गया अकेला ,
यों ही उसने फैंक दिया है 
नभ - सर में चंदा का ढेला ;

कोलाहल ने होंठ चुपाए 
चहल - पहल के दृग अलसाए ,

गुमसुम औ ' निस्पन्द नगर है ,
जैसे किसी साँप ने काटा । 
सहमा - सहमा - सा सन्नाटा । । 


                                   - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - बोल मेरे मौन ''  ,  पृष्ठ - 59












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