Monday, September 14, 2015

पुस्तक ( गीत - संग्रह ) - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गया गीत - '' अँधियारे की आँख ''









सन्ध्या क्या आई कि तिमिर का 
उमड़ पड़ा है एक समंदर । 
संज्ञा का पार्थक्य मिटाने ,
उठता जैसे - एक बवंडर । 

सूरज अपने साथ ले गया ,
इन्द्रधनुष के सब रंगों को । 
सिर्फ़ नींद का आँचल ढाँपे ,
सपनों के मादक अंगों को । 

नहीं दिखाई देता कुछ भी ,
सुन पड़ती है आवाज़ें भर । 
अँधियारे की आँख - सरीखा ,
दीप चमकता दूर कहीं पर । 


                                 - श्रीकृष्ण शर्मा 

________________________

पुस्तक - '' बोल मेरे मौन ''  ,  पृष्ठ -62












sksharmakavitaye.blogspot.in
shrikrishnasharma.wordpress.com

No comments:

Post a Comment