हम शहर छोड़ आये पीछे ,
आगे पहाड़ , जंगल व गाँव ।
वह भीड़ - भाड़ वह कोलाहल ,
वह रातों में भी जगर - मगर ;
लेकिन अब गाँव जहाँ पर है ,
बस मौन , मौन का नीरव स्वर ;
शहरी सुविधाओं का न नाम ,
है यहाँ अभावों का मुकाम ;
चाहे खीजैं , चाहे भीजैं ,
चलना ही होगा पाँव -पाँव ।
हम शहर छोड़ आये पीछे ,
आगे पहाड़ , जंगल व गाँव ।
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - बोल मेरे मौन '' , पृष्ठ - 50
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