भग्न स्वप्न हैं , मर्माहत मन । ।
कौंध गई आँखों बिजली - सी ,
बरस रहे चौथे दिन भी घन ।
भग्न स्वप्न हैं , मर्माहत मन । ।
सुन्दर - मोहक फूल झर गए ,
इन्द्रधनुष कीच से भर गए ,
नदी चढ़ी अजदहे - सरीखी ,
मुँह में उसके गाँव - घर गए ;
फसल पड़ी परकटे खगों - सी ,
दलदल में धँस रहे पगों - सी ,
देख - देख कर सपने रोए ,
डूब चला है गहरे में मन ;
हाथी - पानी हुए ताल - नद ,
लगता है फट पड़े मेघ - घन ।
भग्न स्वप्न हैं , मर्माहत मन । ।
- श्रीकृष्ण शर्मा
___________________________
पुस्तक - '' बोल मेरे मौन '' , पृष्ठ - 56
सुनील कुमार शर्मा
पुत्र – स्व. श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
पिन कोड – 326512
फोन नम्बर - 9414771867
No comments:
Post a Comment