Friday, October 16, 2015

'' ओ मेरे कवि '' नामक गीत , कवि स्व. श्रीकृष्ण शर्मा के गीत - संग्रह - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गया है -









ओ मेरे कवि , चुप मत रहना !!

सब चुप हैं , पर तू सच - सच ही 
सारे जग के सम्मुख कहना !
ओ मेरे कवि , चुप मत रहना !!

अनचाहे संक्रांति काल में 
बेगानी है दृस्टि समय की ,
चारों ओर घिरी हैं गूँगी 
छायाएँ आतंक व भय की ;

बन्धों - प्रतिबन्धों का आलम ,
पटे पड़े जुल्मों के काँलम ; 

शब्द - ब्रह्म की ख़ातिर , आहुति 
बन साधना - यज्ञ में दहना !
ओ मेरे कवि , चुप मत रहना !!


                                          - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन ''  ,  पृष्ठ - 86

सुनील कुमार शर्मा  
पुत्र –  स्व. श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
पिन कोड – 326512
फोन नम्बर - 9414771867

shrikrishnasharma.wordpress.com


4 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (18-10-2015) को "जब समाज बचेगा, तब साहित्य भी बच जायेगा" (चर्चा अंक - 2133) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
    मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार....

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  3. आप सभी का रचना पसंद करने के लिए धन्यवाद |

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