गीत लिक्खे हैं मैंने आँसुओं से पीड़ा के ,
दर्द इस ज़िन्दगी का अक्षरों में ढाला है ,
आँधियों से भरी काली - अँधेरी रातों में
काँपते हाथों से गीतों का दिया बाला है ।
इनमें बुनता रहा हूँ सपने में भविष्यत् के ,
इनमें देखी गरीब भूख की मैंने रोटी ,
इनमें बेरोज़गार बेटे की मजबूरी है ,
इनमें बीमार बेवा माँ की है किस्मत खोटी ।
देखता हूँ मैं धूप में सिसकती नाकामी ,
किन्तु जिये जा रही है जिन्दगी जहर पीती ।
मुश्किलों , जुल्मों , अभावों में बुझ नहीं पायी ,
एक अरुणाली सुबह राख में अब भी जीती।
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' बोल मेरे मौन '' , पृष्ठ - 68
सुनील कुमार शर्मा
पुत्र – स्व. श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
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