आस्था की बाँसुरी पर स्वर सँजोये ,
बन्धु , तुमने दर्द क्यों बोये ?
भिगोये किस निराशा के चरण तुमने ?
वरण तुमने हताशा का किया है क्यों ?
थके औ ' लड़खड़ाते पग , झुका मस्तक ,
पराजय को किया है क्यों नमन तुमने ?
न पहले सर्ग का प्रारम्भ हो पाया ,
सहज आवेग वर्णों में न उतराया ।
वसन्तों - पतझरों से भरे जीवन का ,
सभी रँग - गंध - अनुभव रहा अनगाया ।
मगर तुम मंगलाचरणी पदों के ही ,
निरर्थक और ठन्डे स्वरों में खोये !
बन्धु , तुमने दर्द क्यों बोये ,
आस्था की बाँसुरी पर स्वर सँजोये ?
- श्रीकृष्ण शर्मा
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पुस्तक - '' अँधेरा बढ़ रहा है '' , पृष्ठ - 39
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सुनील कुमार शर्मा
पुत्र – स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
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फोन नम्बर - 9414771867
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