Monday, January 4, 2016

'' प्रलयंकर ने तीसरी आँख खोली '' नामक नवगीत , कवि स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत संग्रह - '' अँधेरा बढ़ रहा है '' से लिया गया है -









( सन्दर्भ : 22 मई 1997 को प्रातः 4.20 पर जबलपुर में आया भूकम्प )

थी आधी रात ढली , सहसा कोहराम मचा । 
शिव ने रेवा तट पर आ ताण्डव नृत्य रचा । । 
           पग - आघातों से ये धरती काँपी - डोली । 
           प्रलयंकर ने अपनी तीसरी आँख खोली । । 
भूगर्भ गड़गड़ाहट धड़ - धड़ से भरा हुआ । 
आतंक और भय से हर प्राणी भरा हुआ । । 
           धरती की छाती फटी कि पत्थर तक पिघले । 
           अनगिनत प्रसिद्ध ठिये इस दानव ने निगले । । 
ताण्डव में दीवारें दरकीं , घर भग्न हुए । 
कुछ बचे हुए आहत कुछ मृत्यु - निमग्न हुए । । 
           जो अपनों से बिछुड़े वे अपनों को रोते । 
           अपनों का शोक , सिर्फ क्या अपने ही ढोते ?
उफ़ , विधना , ये विनाश की कैसी लीला है ?
मानव - कर्मों का दण्ड दुखद - दर्दीला है । । 
           ऐसी विपदा में अपने से बाहर आओ । 
           बुद्धि से काम लो , जन - सेवा में जुट जाओ । । 


                                            - श्रीकृष्ण शर्मा 

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पुस्तक - '' अँधेरा बढ़ रहा है ''  ,  पृष्ठ - 36

sksharmakavitaye.blogspot.in
shrikrishnasharma.wordpress.com

सुनील कुमार शर्मा  
पुत्र –  स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
पिन कोड – 326512
फोन नम्बर - 9414771867

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