( कहते हैं ' सावन की झरन , भादौं की भरन ', किन्तु भादौं सूखी गयी । पानी नहीं बरसा । परन्तु वर्ष के अन्तिम दिन ३१ दिसम्बर २००० की रात में अच्छी वर्षा हुई । फलस्वरूप यह रचना लिखी गई )
आज हवा कुछ सीली - सी है ,
धरती गीली है ,
लगा
विदा के वक्त
वर्ष की आँख पनीली है ।
कुछ दिन पहले
जेठ लिये था
हाथों जलती हुई लुकाठी ,
तार - तार की
छाँह गदीली
मार - मार किरनों की सौटी ,
लगा
रेत से बतियाने में ,
भादौं भूली
चूल्हे रक्खी हुई पतीली है ।
देखा मैंने
शाम - शाम को
आसमान में कुछ कपास थी ,
पर उम्मीद न थी ,
पानी से ,
जीवित छन्दों के छपास की ,
सुबह हुई
साँसें गन्धायीं
लगा तृषित माटी ने
रात वारुणी पी ली है ।
- श्रीकृष्ण शर्मा
( कृपया इस नवगीत को पढ़ कर अपने विचार अवश्य लिखें | आपके विचारों का स्वागत है | धन्यवाद | )
___________________________________________________________________
पुस्तक - '' एक अक्षर और '' , पृष्ठ - 27
sksharmakavitaye.blogspot.in
shrikrishnasharma.wordpress.com
सुनील कुमार शर्मा
पुत्र – स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
पिन कोड – 326512
फोन नम्बर - 9414771867
आज हवा कुछ सीली - सी है ,
धरती गीली है ,
लगा
विदा के वक्त
वर्ष की आँख पनीली है ।
कुछ दिन पहले
जेठ लिये था
हाथों जलती हुई लुकाठी ,
तार - तार की
छाँह गदीली
मार - मार किरनों की सौटी ,
लगा
रेत से बतियाने में ,
भादौं भूली
चूल्हे रक्खी हुई पतीली है ।
देखा मैंने
शाम - शाम को
आसमान में कुछ कपास थी ,
पर उम्मीद न थी ,
पानी से ,
जीवित छन्दों के छपास की ,
सुबह हुई
साँसें गन्धायीं
लगा तृषित माटी ने
रात वारुणी पी ली है ।
- श्रीकृष्ण शर्मा
( कृपया इस नवगीत को पढ़ कर अपने विचार अवश्य लिखें | आपके विचारों का स्वागत है | धन्यवाद | )
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सुनील कुमार शर्मा
पुत्र – स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
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आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (18-01-2016) को "देश की दौलत मिलकर खाई, सबके सब मौसेरे भाई" (चर्चा अंक-2225) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मयंक जी आपको बहुत - बहुत धन्यवाद , कि आपने मेरे पिताजी के नवगीत को अपने ब्लॉग में स्थान दिया | आपने इस क्षेत्र में मुझे काफी हौसला दिया है |
Deleteधन्यवाद मयंक जी |
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