चौराहों पर हुई मुनादी -
बच न सकेंगे अब अपराधी ।
खुश थी रैयत सीधी - सादी । ।
सब कहते - राजा है अच्छा ,
उसे दिया है कुछ ने गच्चा ,
अब करनी सब भरनी होगी ,
वैतरिणी तो तरनी होगी ;
बोलो - कब तक बच पायेगी ,
राजा सम्मुख पड़ कर प्यादी । ।
चौराहों पर हुई मुनादी .....
लेकिन राजा बड़ा घाघ था ,
शहद चुआता हुआ नाग था ,
कहता था कुछ , कुछ करता था ,
पर जन - जागृति से डरता था ;
कोई सरकश सिर न उठाये ,
संगीनों से खबर छपा दी।।
चौराहों पर हुई मुनादी .....
सरगर्मी से नगर भर गया ,
खतरा घर - घर में पसर गया ,
पतझर में जंगल के अन्दर
जैसे कोई आग धर गया ;
सबके चेहरों खौफ लिख गयी ,
दहशत की वह काली आँधी । ।
चौराहों पर हुई मुनादी .....
चारों तरफ तना अँधियारा ,
लगता है उजियारा हारा ,
ढोल - ढमाकों की ढम्मक - ढम
चलता है राजा का गारा ;
हाँके में कसती जाती है ,
कुछ नव - सिंहों की आज़ादी । ।
चौराहों पर हुई मुनादी -
बच न सकेंगे अब अपराधी ।
खुश थी रैयत सीधी - सादी । ।
- श्रीकृष्ण शर्मा
( कृपया इस नवगीत को पढ़ कर अपने विचार अवश्य लिखें | आपके विचारों का स्वागत है | धन्यवाद | )
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पुस्तक - '' अँधेरा बढ़ रहा है '' , पृष्ठ - 79 , 80
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सुनील कुमार शर्मा
पुत्र – स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
पचपहाड़ , जिला – झालावाड़ , राजस्थान .
पिन कोड – 326512
फोन नम्बर - 9414771867
धन्यवाद मयंक जी |
ReplyDeleteधन्यवाद मयंक जी |
ReplyDeleteसुन्दर नवगीत ।
ReplyDeleteधन्यवाद ई. प्रदीप कुमार साहनी जी |
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